मोर के बारे में जानकारी और रोचक तथ्य | Interesting Facts About Peacock in Hindi

Facts and Information About Peacock in Hindi

मोर हमारा राष्ट्र्रीय पक्षी है। यह हमारे देश की एक अमूल्य धरोहर है। आज हम आपके लिए मोर के बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ (Information about Peacock in Hindi) लेकर आए हैं। इसके अलावा आज हम आपको मोर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Interesting Facts about Peacock in Hindi) भी बताने वाले हैं।

इस पोस्ट में दी गई जानकारियों की मदद से आप बड़ी ही आसानी से मोर पर निबंध (Essay on Peacock in Hindi) भी लिख सकते है।

मोर के बारे में जानकारी (Information About Peacock in Hindi)

मोर हमारे देश भारत का राष्ट्रीय पक्षी हैं। मोर को मयूर के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा केक, कलापी, शिखी, नीलकंठ, ध्वजी, शिखावल, सारंग और नर्तकप्रिय मोर के पर्यायवाची शब्द है। वे भारत, नेपाल जैसे कई पूर्वी एशियाई देशों में पाए जाते हैं। सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रुप से यह एक महत्वपूर्ण पक्षी माना जाता है। यह अपनी ख़ूबसूरती के लिए जाना जाता हैं।

मोर की एक सुन्दर गर्दन होती हैं। मोर के पास सुन्दर और रंगीन पंख होता हैं जो देखने में मनमोहक लगता है।
मोर के पंखों में पक्षी के शरीर की कुल लंबाई का 60 प्रतिशत हिस्सा होता है। पंखों की लंबाई 5 फीट होती हैं। उनका वजन 8-13 पाउंड के बीच हो सकता हैं।

माना जाता है कि मोर के पैर कुरुप होते हैं। ये देखने में अच्छे नहीं लगते है। मोर के पैरों में स्पर्स होते हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से अन्य मोरों के साथ लड़ने के लिए किया जाता है।

एक मोर 20 साल से अधिक की आयु तक जीवित रह सकता है। जब वे 5 या 6 वर्ष की आयु के होते हैं तो देखने में अधिक आकर्षक लगते हैं।

मोर का नृत्य काफी लोकप्रिय हैं। बारिश में मौसम में मोर पंखो को खोलकर नाचता है। मोर का नृत्य देखना कई लोग पसंद करते है। लेकिन यह कम देखने को मिलता हैं। वास्तविकता में मोर के नाचने का मुख्य उद्देश्य मोरनी को आकर्षित करना और उसे संभोग के लिए तैयार करना होता है।

मोर उड़ सकते हैं। वे सबसे बड़े उड़ने वाले पक्षियों में से एक हैं। वे अपने विशाल पूंछ के बावजूद उड़ सकते हैं। हालांकि इन पक्षियों को उड़ते हुए देखने के लिए कम ही मिलता है। वे आम तौर पर पक्षियों की तरह उड़ते नहीं है वे केवल तभी उड़ते है जब उन्हें कोई खतरा महसूस होता है। उनके मुख्य शिकारी बाघ, तेंदुए, नेवले आदि हैं। जब उन्हें कोई खतरा महसूस होता है तो वे उड़कर पेड़ों में छिप जाते हैं। वे खुद को बचाने के लिए पेड़ों पर रातें बिताते हैं।

मोर सर्वाहारी होते हैं। वे कई प्रकार के पौधों, फूलों की पंखुड़ियों, बीज, कीड़े और छोटे सरीसृप जैसे छिपकली आदि को खाते हैं। मोर काफी उपयोगी पक्षी हैं। मोर के पंख का उपयोग सजावटी कार्यों में किया जाता हैं। इसके अलावा इसके पंखों का उपयोग पर्स, जैकेट और कई खूबसूरत चीजों को बनाने के लिए किया जाता है। मोर चिड़ियाघर में भी देखने को मिलता है।

मोर की विशेषताएँ

मोर एक सुन्दर पक्षी हैं। वे सुंदरता और प्रेम का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें भारत के सबसे खूबसूरत पक्षियों में से एक माना जाता है।

इनका शरीर विभिन्न रंगों से भरा होता है। इसके गर्दन और सिर पर एक शिखा होता है।

इनके पास मनमोहक पंख और पूँछ होते हैं। ये नीले, लाल, हरा, बैंगनी रंग के होते है।

पंखों की खूबसूरती के कारण मोर के पंखो का उपयोग सजावट में किया जाता हैं।

सुनहरे और मनमोहक पंख सिर्फ नर मोर में पाया जाता हैं। मादा मोर में खूबसूरत पंख और खूबसूरत गर्दन नहीं होता है।

मोर का धार्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्त्व

मोर लंबे समय से भारतीय संस्कृति और समाज का हिस्सा रहे हैं। मोर का प्राचीन भारतीय कला और वास्तुकला में एक अद्वितीय स्थान है।

भारतीय परंपराओं में इसका धार्मिक और पौराणिक महत्व है। भगवान कृष्ण अपने सिर के ऊपर मोर के खूबसूरत पंख को लगाए रखते है। मोर देवी लक्ष्मी और देवी सरस्वती के साथ भी जुड़े हुए हैं।

भारतीय पुराणों में मोर से जुडी कई कहानियाँ भी मौजूद है। हिंदू धर्म में मोर को इंद्र देव की छवि के रूप में चित्रित किया गया है।

मोर का ऐतिहासिक महत्व भी देखने को मिलता है। मुग़ल काल की कई चित्रों में मोर का चित्रण किया गया हैं। प्रसिद्ध मुगल बादशाह शाहजहाँ का सिंहासन एक मोर के आकार में बनाया गया था जिसे मयूर सिंहासन भी कहा जाता है।

मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। वर्ष 1963 में मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था। मोर को राष्ट्रीय पक्षी के रुप के अपनाने के कई कारण है उनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं -

  • यह देश के भीतर अच्छी तरह से वितरित है और यह आम आदमी द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता हैं।
  • मोर को सौंदर्य, ज्ञान, स्नेह का प्रतीक माना जाता हैं।
  • मोर का धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व - यह भारतीय संस्कृति और परम्पराओं से जुड़ा हैं। भारतीय संस्कृति में इसका काफी महत्व हैं। इसका हमारे मिथकों किंवदंतियों से जुड़ाव है।
  • यह किसी अन्य राष्ट्र के राष्ट्रीय प्रतीक से अलग है।

मोर की प्रजातियाँ

मोर की केवल तीन प्रजातियाँ हैं - भारतीय, हरा और कांगो। वे अपने रंग और आकार से पहचाने जाते हैं।

भारतीय मोर (Indian Peacock)- इसका वैज्ञानिक नाम Pavo cristatus हैं। भारतीय मोर दक्षिण एशिया में भारत और श्रीलंका के मूल निवासी हैं।

नर मोर की छोटी-सी पूँछ पर लम्बे व सजावटी पंखों का एक गुच्छा होता है। मोर के इन पंखों की संख्या ढ़ाई सौ के आस-पास होती है। मादा पक्षी के ये सजावटी पंख नहीं होते।

हरा मोर (Green Peacock)- इसका वैज्ञानिक नाम Pavo muticus हैं। आज मोर का यह प्रजाति विलुप्त हो रहा है। हरा मोर दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय जंगलों के मूल निवासी है।

कांगो मोर (Congo Peacock)- मोर के इस प्रजाति का वैज्ञानिक नाम Afropavo congensis हैं। कांगो मोर मुख्यतः कांगो बेसिन में पाएं जाते हैं। इस प्रजाति के मोरों की संख्या भी घट रही हैं।

भारतीय मोर की प्रकृति

भारतीय मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। मोर को 1963 में भारत के राष्ट्रीय पक्षी के रूप में स्वीकार किया गया था। भारतीय मोर दुनिया भर में पाया जाने वाला सबसे आम प्रकार का मोर है।

भारतीय मोर भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है। यह भारत, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार का स्वदेशी पक्षी हैं।

मोर पूरे भारतवर्ष में अच्छी तरह से वितरित है। यह सभी पक्षियों से अलग दिखता है। इसे कोई भी व्यक्ति देखकर पहचान सकता हैं।

मोर का गर्दन और पंख काफी सुन्दर होता है। यह अपने पंखो की खूबसूरती के लिए जाना जाता है। जब यह नृत्य करता है तो अपने पंखो को फैलाता है।

मोर (पुरुष पक्षी) मोरनी (स्त्री पक्षी) की तुलना में अधिक सुंदर, रंगीन और उज्ज्वल होता है।

मोर सर्वभक्षक होता है। यह कीड़े, फूल, बीज, छोटे कृन्तकों और छिपकलियों को खाता है। यह हानिकारक कीड़े-मकोड़े को खाता है जो फसलों को नष्ट कर देते हैं। इसलिए इसे किसानो का अच्छा मित्र भी कहा जाता है।

भारत में मोर के शिकार पर पूर्णत: प्रतिबंध है। यह भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत पूरी तरह से संरक्षित है।

मोर का प्रजनन कैसे होता है ?

मोर अन्य पक्षियों की तरह ही प्रजनन करता है। पक्षीविज्ञानियों के अनुसार मोर और मोरनी में एवियन प्रजनन अंग होता है जिसे 'क्लोअका' कहते है। मोर सहित सभी पक्षी 'cloacal kiss' के जरिए प्रजनन करते हैं।

जिस समय इनका मिलाप होता हैउस समय नर पक्षी मादा की पीठ पर सवार होता है और दोनों प्रबलता के साथ अपने ‘क्लोका’ (एक छिद्र जिसके जरिये वे मल उत्सर्जन करते हैं) खोलते हैं। इसी छिद्र के जरिए नर पक्षी अपना वीर्य मादा के शरीर में प्रत्यारोपित करता है। इस प्रकार अन्य पक्षियों की तरह मोर प्रजनन करते है।

मोरों की घटती संख्या

आज मोरों की संख्या घट रही हैं। वो विलुप्त हो रहे हैं। आज मोर की सभी प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर है। यह एक चिंता का विषय हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मोर की संख्या कम होना खतरनाक है। यह हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक अहम हिस्सा हैं।

सजावट के लिए मोर के पंखो का प्रयोग होता हैं। इसलिए मोर के पंखो की माँग भी बहुत होती है। मोर के पंख की प्राप्ति हेतु शिकारी व तस्कर इसका अवैध शिकार करते है। इसके अलावा मोर के माँस के लिए भी इसका शिकार किया जाता है।

भारत सरकार ने राष्ट्रीय पक्षी की स्थिति को देखकर इसके संरक्षण हेतु कई सराहनीय कदम उठाएं हैं। हमें भी मोरों को बचाने के लिए लोगो को जागरुक करना चाहिए।

मोर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य (Interesting facts about Peacock in Hindi)

मोर के बारे में कुछ तथ्य निम्नलिखित हैं -

  • Peacock शब्द का प्रयोग सामान्यतः मोर परिवार के लिए किया जाता है जबकि वास्तविकता में सिर्फ नर मोर को ही Peacock कहा जाता हैं।
  • मादा मोर या मोरनी को Peahen कहा जाता हैं। मादा मोर छोटे होते है जो भूरे रंग के होते है।
  • मोर के परिवार को "bevy" कहा जाता हैं।
  • मोरों के समूह को "party" कहा जाता है।
  • रंगीन और सुन्दर पंख सिर्फ नर मोर की विशेषता है।
  • मोर के बच्चे को peachick कहा जाता हैं।
  • वर्ष 1963 में मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था।
  • मोरों को भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत पूरी सुरक्षा दी गई है।
  • मोर को हिंदुओं द्वारा पवित्र पक्षी माना गया है। पक्षी भगवान शिव के पुत्र भगवान मुरुगन से संबंधित है।
  • मोर सर्वभक्षी होते हैं।
  • मोर कम ऊंचाई वाले घास के मैदानों, जंगलों और आस-पास के मानव आवासों में पाए जाते हैं।
  • मोर बहुविवाहित होते है मतलब एक से अधिक मोरनी के साथ सहवास करते हैं। आमतौर पर मोर एक हरम बनाते हैं जिसमें 2-5 मादाएँ होती हैं।
  • एक दिन का शिशु मोर बिना सहायता के चल, खा और पी सकता है।
  • IUCN रेड लिस्ट के अनुसार मोर Least Concern श्रेणी का है।

निष्कर्ष (Conclusion)

मोर हमारे देश भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यह एक सुन्दर पक्षी है। मोर भारतीय संस्कृति का एक प्रतीक हैं।

सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से मोर का स्थान काफी महत्वपूर्ण है। हिन्दू धर्म में मोर को पवित्रता और सौंदर्य का पर्याय माना जाता है।

इसके महान सौंदर्य और सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व के कारण भारत ने मोर को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया। यह पक्षी जनमानस में लोकप्रिय है। इसका नृत्य और बनावट काफी मनमोहक होता हैं।

आज मोरों की संख्या घट रही हैं जो एक चिंता का विषय हैं।

उम्मीद है आपको इस पोस्ट में मोर के बारे में दी गई जानकारी (Information about Peacock in Hindi) पसंद आई होगी।

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